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Sunday, December 9, 2018
Wednesday, December 5, 2018
Roh (Medieval Afghanistan)
'Roh' is the medieval name of Afghanistan. Etymologically the word Roh is derived from the Sanskrit "Rohitagiri"m (Red hill). Panini of 4th century B.C, Sanskrit grammarian from modern-day Charsadda, informs that highlanders dwelt on the Rohitagiri.
Yousafzai
Pukhtuns who left their country and settled in foothills of Himalayas
(modern U P in India ) were called Rohillas i.e people from Roh.
Thursday, September 6, 2018
राज्य-पांचाल, मध्यदेष, कठेहर, (रोहिलखण्ड), राजधानी-रामपुर (निकट अहिक्षेत्र, रामनगर) (तेहरवीं षताब्दी का पूर्वार्द्ध)
महाराजा रणवीर सिहं रोहिला
राज्य-पांचाल, मध्यदेष, कठेहर, (रोहिलखण्ड), राजधानी-रामपुर (निकट अहिक्षेत्र, रामनगर)
(तेहरवीं षताब्दी का पूर्वार्द्ध)
वंष-वृक्ष
सूर्यवंष‘- महाराज भरत के वंषधर निकुम्भ ईसा पूर्व 326 वर्ष कठगण राज्य (रावी नदी के काठे में) सिकन्दर का आक्रमण काल-राजधानी सांकल दुर्ग (वर्तमान स्यालकोट) 53 वीं पी-सजय़ी राज्य अजयराव के वंषधर निकुम्भ वंषी राजस्थान अलवर, मंगलग-सजय़, जैसलमेर होते हुए गुजरात, सौराट्र गये, फिर पांचाल, मध्यदेश गये। अलवर में दुर्ग निकुम्भ वंशी (कठ क्षत्रिय रावी नदी के कोठ से (विस्थापित कठ-ंगण) क्षत्रियों ने बनवाया (राज्य मंगलग-सजय़), सौराष्ट्र में काठियावाड़ की स्थापना की । मध्यदेश के पांचाल में कठेहर राज्य की स्थापना सन् 648 से 720 ई. तक (कन्नौज के पतन के पश्चात्) की। यहां अहिक्षेत्र के पास रामनगर गांव मे ंराजधानी स्थापित की, ऊंचा गांव म-हजयगांवा को सैनिक छावनी बनाया। यहां पर शासक हंसदेव, रहे, इनके पुत्र हंसबेध राजा बने-ं816 ई. तक- इसी वंश में निकुम्भवंश कठेहरिया रामश्शाही (राम सिंह जी ) ने रामपुर गांव को एक नगर का रूप दिया और 909 ई में कठेहर- रोहिलखण्ड प्रान्त की राजधानी रामपुर में स्थापित की। यहां पर कठ क्षत्रियों ने 11 पी-सजय़ी शासन किया इसी वंश में महापराक्रमी, विधर्मी संहारक राजा रणवीर
सिंह रोहिला का जन्म हुआ।
वंश वृक्ष इस प्रकार पाया गया
रामपुर संस्थापक राजा राम सिंह उर्फ रामशाह 909 ई. में 966 विक्रमी , 3 पौत्र- बीजयराज 4. करणचन्द 5. विम्रहराज 6. सावन्त सिंह (रोहिलखण्ड का विस्तार गंगापार कर यमुना तक किया,) सिरसापाल के राज्य सरसावा में एक किले का निर्माण कराया। (दशवीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध) नकुड रोड पर किले को आज यमुना द्वारा ध्वस्त एक टीले के रूप में देखा जा सकता है। 7. जगमाल 8. रणवीर सिंह 9. धिंगतराम 10 गोकुल सिंह 11 महासहाय 12. त्रिलोकचन्द 13. नौरंग देव (पिंगू को परास्त किया) (राजपूत गजट लाहौर 04.06.1940 द्वारा डा0
सन्त सिंह चैहान)
रामपुर का रोहिला किला, राजा रणवीर सिंह, दिल्ली में गुलामवंश का शासन
गुलाम सेनापति नासिरूद्दीन चंगेज उर्फ नासिरूद्दीन महमूद, सन् 1253 ई0, गुलाम वंश ने दोआब, कठेहर, शिवालिक पंजाब, बिजनौर आदि क्षेत्रों पर विजय पाने के लिए दमनकारी अभियान किया। इतने अत्याचार , मारकाट तबाही मचाई कि विदे्राह करने वाले स्थानीय शासक, बच्चे व स्त्रियंा भी सुरक्षित नहीं रही। ऐसी विषम परिस्थिति में रोहिल खण्ड के रोहिला शासकों ने दिल्ली सल्तनत के सूबेदार‘ ताजुल मुल्क इज्जूददीन डोमिशी‘ को मार डाला। दिल्ली सल्तनत के लिये यह घटना भीषण चुनौती सम-हजयी गई। इस समय रामपुर के राजा रणवीर सिंह थे । उन्होनंे दिल्ली सल्तनत के विरूद्ध अपनी क्रान्तिकारी प्रवृत्ति को सजीव बनाये रखा। नासिरूद्दीन महमूद (चंगेज) इस घटना से उद्वेलित हो उठा और सहारनपुर ‘ उशीनर प्रदेश‘ के मण्डावार व मायापुर से 1254 ई0 में गंगापार कर गया और विद्रोह को दबाता हुआ, रोहिलखण्ड को रौदता हुआ बदांयू पहुंचा। वहां उसे ज्ञात हुआ कि रामपुर में राजा रणवीर सिंह के साथ लोहे के कवचधारी 84 रोहिले है जिनसे विजय पाना टे-सजय़ी खीर है। इस समय दिल्ली की शासन व्यवस्था बलबन के हाथों में थी। सूचना दिल्ली भेजी गई। दिल्ली दरबार में सन्नाटा हो गया कि एक छोटे राज्य कठेहरखण्ड के रोहिलों से कैसे छीना जाए। नासिरूद्दीन चंगेज (महमूद) ने तलवार व बीड़ा उठाकर राजा रणवीर सिंह के साथ युद्ध करने की घोषणा की। रामपुर व पीलीभीत के बीच मैदान में पठानों व रोहिलों में विकट संघर्ष हुआ।
वशिष्ठ गोत्र के 84 लोहे के कवचधारी रन्धेलवंशी सेना नायकों की सेना के सामने नासिरूद्दीन की सेना के पैर उखड़ गये।
नासिरूद्दीन चंगेज को बन्दी बना लिया गया। बची हुई सेना के हाथी व घोडे तथा एक लाख रूपये महाराज रणवीर सिंह को देने की प्रार्थना पर आगे ऐसा अत्याचार न करने की शपथ लेकर नासिरूद्दीन महमूद ने प्राण दान मांग लिया। क्षात्र धर्म के अनुसार शरणागत को अभयदान देकर राजा रणवीर सिंह ने उसे छोड़ दिया। परन्तु धोखेबाज महमूद जो राजा रणवीर सिंह पर विजय पाने का बीड़ा उठाकर दिल्ली से आया था, षडयंत्रों में लग गया। राजा रणवीर सिंह का एक दरबारी पं. गोकुलराम पाण्डेय था। उसे रामपुर का राजा नियुक्त करने का लालच देकर महमूद ने विश्वास में ले लिया और रामपुर के किले का भेद लेता रहा। पं. गोकुल राम ने लालच के वशीभूत होकर विधर्मी को बता दिया कि रक्षांबधन के दिन सभी राजपूत निःशस्त्र होकर शिव मन्दिर मंे शस्त्र पूजा करेंगें। वशिष्ठ गोत्र के कठेहरिया राजपूतों मंे शिव उपासना कर शक्ति प्राप्त करने की भावना जीवित है।यह शिव मन्दिर किले के दक्षिण द्वार के समीप है। यह सुनकर महमूद का चेहरा खिल उठा और दिल्ली से भारी सेना को मंगाकर जमावड़ा प्रारम्भ कर दिया रक्षाबन्धन का दिन आ गया। सभी किले में उपस्थित सैनिक, सेनाायक अपने-ंअपने शस्त्रों को उतार कर पूजा स्थान पर शिव मन्दिर ले जा रहे थे। गोकुल राम पाण्डेय यह सब सूचना विधर्मी तक पहुचंता रहा। सामने श्वेत ध्वज रखकर दक्षिण द्वार पर पठानों की गुलामवंशी सेना एकत्र हो गयी। पूजा में तल्लीन राज पुत्रों को पाकर गोकुलराम पाण्डेय ने द्वार खोल दिया।
शिव उपासना में रत सभी उपस्थितों को घेरे में ले लिया गया। घमासान युद्ध छिड़ गया परन्तु ऐसी गद्दारी के कारण राजा रणवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। नासिरूद्दीन ने पं. गोकुल राम से कहा कि जिसका नमक खाया अब तुम उसी के नहीं हुए तो तुम्हारा भी संहार अनिवार्य है। नमक हरामी को जीने का हक नहीं है। गोकुल का धड़ भी सिर से अलग पड़ा था। सभी स्त्री बच्चों को लेकर रणवीर सिंह का भाई सूरत सिंह किले से पलायन कर चरखी दादरी में अज्ञातवास को चला गया। महारानी तारादेवी राजा रणवीर सिंह के साथ सती हो गई।
रामपुर में किले के खण्डरात, सती तारादेवी का मन्दिर तथा उनका राजमहल अभी तक मौजूद है, जो क्षात्र धर्म का परिचायक व रामपुर में रेहिले क्षत्रियों की कठ-शाखा के शासन काल की याद ताजा करता है जिन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर क्षात्र धर्म की रक्षा की। गुलाम वंश, सल्तनत काल में विधर्मी की पराधीनता कभी स्वीकार नहीं की। अन्तिम सांस तक दिल्ली सल्तनत से युद्ध किया और रोहिलखण्ड को स्वतंत्र राज्य बनाये रखा। निरन्तर संघर्ष करते रहे राजा रणवीर सिंह का बलिदान व्यर्थ नहीं , सदैव तुगलक, मंगोल , मुगलों आदि से विद्रोह किया और स्वतंत्र रहने की भावना को सजीव रखा। राणा रणवीर सिंह के वंशधर आज भी रोहिला-ंक्षत्रियों में पाए जाते है।
राज्य-पांचाल, मध्यदेष, कठेहर, (रोहिलखण्ड), राजधानी-रामपुर (निकट अहिक्षेत्र, रामनगर)
(तेहरवीं षताब्दी का पूर्वार्द्ध)
वंष-वृक्ष
सूर्यवंष‘- महाराज भरत के वंषधर निकुम्भ ईसा पूर्व 326 वर्ष कठगण राज्य (रावी नदी के काठे में) सिकन्दर का आक्रमण काल-राजधानी सांकल दुर्ग (वर्तमान स्यालकोट) 53 वीं पी-सजय़ी राज्य अजयराव के वंषधर निकुम्भ वंषी राजस्थान अलवर, मंगलग-सजय़, जैसलमेर होते हुए गुजरात, सौराट्र गये, फिर पांचाल, मध्यदेश गये। अलवर में दुर्ग निकुम्भ वंशी (कठ क्षत्रिय रावी नदी के कोठ से (विस्थापित कठ-ंगण) क्षत्रियों ने बनवाया (राज्य मंगलग-सजय़), सौराष्ट्र में काठियावाड़ की स्थापना की । मध्यदेश के पांचाल में कठेहर राज्य की स्थापना सन् 648 से 720 ई. तक (कन्नौज के पतन के पश्चात्) की। यहां अहिक्षेत्र के पास रामनगर गांव मे ंराजधानी स्थापित की, ऊंचा गांव म-हजयगांवा को सैनिक छावनी बनाया। यहां पर शासक हंसदेव, रहे, इनके पुत्र हंसबेध राजा बने-ं816 ई. तक- इसी वंश में निकुम्भवंश कठेहरिया रामश्शाही (राम सिंह जी ) ने रामपुर गांव को एक नगर का रूप दिया और 909 ई में कठेहर- रोहिलखण्ड प्रान्त की राजधानी रामपुर में स्थापित की। यहां पर कठ क्षत्रियों ने 11 पी-सजय़ी शासन किया इसी वंश में महापराक्रमी, विधर्मी संहारक राजा रणवीर
सिंह रोहिला का जन्म हुआ।
वंश वृक्ष इस प्रकार पाया गया
रामपुर संस्थापक राजा राम सिंह उर्फ रामशाह 909 ई. में 966 विक्रमी , 3 पौत्र- बीजयराज 4. करणचन्द 5. विम्रहराज 6. सावन्त सिंह (रोहिलखण्ड का विस्तार गंगापार कर यमुना तक किया,) सिरसापाल के राज्य सरसावा में एक किले का निर्माण कराया। (दशवीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध) नकुड रोड पर किले को आज यमुना द्वारा ध्वस्त एक टीले के रूप में देखा जा सकता है। 7. जगमाल 8. रणवीर सिंह 9. धिंगतराम 10 गोकुल सिंह 11 महासहाय 12. त्रिलोकचन्द 13. नौरंग देव (पिंगू को परास्त किया) (राजपूत गजट लाहौर 04.06.1940 द्वारा डा0
सन्त सिंह चैहान)
रामपुर का रोहिला किला, राजा रणवीर सिंह, दिल्ली में गुलामवंश का शासन
गुलाम सेनापति नासिरूद्दीन चंगेज उर्फ नासिरूद्दीन महमूद, सन् 1253 ई0, गुलाम वंश ने दोआब, कठेहर, शिवालिक पंजाब, बिजनौर आदि क्षेत्रों पर विजय पाने के लिए दमनकारी अभियान किया। इतने अत्याचार , मारकाट तबाही मचाई कि विदे्राह करने वाले स्थानीय शासक, बच्चे व स्त्रियंा भी सुरक्षित नहीं रही। ऐसी विषम परिस्थिति में रोहिल खण्ड के रोहिला शासकों ने दिल्ली सल्तनत के सूबेदार‘ ताजुल मुल्क इज्जूददीन डोमिशी‘ को मार डाला। दिल्ली सल्तनत के लिये यह घटना भीषण चुनौती सम-हजयी गई। इस समय रामपुर के राजा रणवीर सिंह थे । उन्होनंे दिल्ली सल्तनत के विरूद्ध अपनी क्रान्तिकारी प्रवृत्ति को सजीव बनाये रखा। नासिरूद्दीन महमूद (चंगेज) इस घटना से उद्वेलित हो उठा और सहारनपुर ‘ उशीनर प्रदेश‘ के मण्डावार व मायापुर से 1254 ई0 में गंगापार कर गया और विद्रोह को दबाता हुआ, रोहिलखण्ड को रौदता हुआ बदांयू पहुंचा। वहां उसे ज्ञात हुआ कि रामपुर में राजा रणवीर सिंह के साथ लोहे के कवचधारी 84 रोहिले है जिनसे विजय पाना टे-सजय़ी खीर है। इस समय दिल्ली की शासन व्यवस्था बलबन के हाथों में थी। सूचना दिल्ली भेजी गई। दिल्ली दरबार में सन्नाटा हो गया कि एक छोटे राज्य कठेहरखण्ड के रोहिलों से कैसे छीना जाए। नासिरूद्दीन चंगेज (महमूद) ने तलवार व बीड़ा उठाकर राजा रणवीर सिंह के साथ युद्ध करने की घोषणा की। रामपुर व पीलीभीत के बीच मैदान में पठानों व रोहिलों में विकट संघर्ष हुआ।
वशिष्ठ गोत्र के 84 लोहे के कवचधारी रन्धेलवंशी सेना नायकों की सेना के सामने नासिरूद्दीन की सेना के पैर उखड़ गये।
नासिरूद्दीन चंगेज को बन्दी बना लिया गया। बची हुई सेना के हाथी व घोडे तथा एक लाख रूपये महाराज रणवीर सिंह को देने की प्रार्थना पर आगे ऐसा अत्याचार न करने की शपथ लेकर नासिरूद्दीन महमूद ने प्राण दान मांग लिया। क्षात्र धर्म के अनुसार शरणागत को अभयदान देकर राजा रणवीर सिंह ने उसे छोड़ दिया। परन्तु धोखेबाज महमूद जो राजा रणवीर सिंह पर विजय पाने का बीड़ा उठाकर दिल्ली से आया था, षडयंत्रों में लग गया। राजा रणवीर सिंह का एक दरबारी पं. गोकुलराम पाण्डेय था। उसे रामपुर का राजा नियुक्त करने का लालच देकर महमूद ने विश्वास में ले लिया और रामपुर के किले का भेद लेता रहा। पं. गोकुल राम ने लालच के वशीभूत होकर विधर्मी को बता दिया कि रक्षांबधन के दिन सभी राजपूत निःशस्त्र होकर शिव मन्दिर मंे शस्त्र पूजा करेंगें। वशिष्ठ गोत्र के कठेहरिया राजपूतों मंे शिव उपासना कर शक्ति प्राप्त करने की भावना जीवित है।यह शिव मन्दिर किले के दक्षिण द्वार के समीप है। यह सुनकर महमूद का चेहरा खिल उठा और दिल्ली से भारी सेना को मंगाकर जमावड़ा प्रारम्भ कर दिया रक्षाबन्धन का दिन आ गया। सभी किले में उपस्थित सैनिक, सेनाायक अपने-ंअपने शस्त्रों को उतार कर पूजा स्थान पर शिव मन्दिर ले जा रहे थे। गोकुल राम पाण्डेय यह सब सूचना विधर्मी तक पहुचंता रहा। सामने श्वेत ध्वज रखकर दक्षिण द्वार पर पठानों की गुलामवंशी सेना एकत्र हो गयी। पूजा में तल्लीन राज पुत्रों को पाकर गोकुलराम पाण्डेय ने द्वार खोल दिया।
शिव उपासना में रत सभी उपस्थितों को घेरे में ले लिया गया। घमासान युद्ध छिड़ गया परन्तु ऐसी गद्दारी के कारण राजा रणवीर सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। नासिरूद्दीन ने पं. गोकुल राम से कहा कि जिसका नमक खाया अब तुम उसी के नहीं हुए तो तुम्हारा भी संहार अनिवार्य है। नमक हरामी को जीने का हक नहीं है। गोकुल का धड़ भी सिर से अलग पड़ा था। सभी स्त्री बच्चों को लेकर रणवीर सिंह का भाई सूरत सिंह किले से पलायन कर चरखी दादरी में अज्ञातवास को चला गया। महारानी तारादेवी राजा रणवीर सिंह के साथ सती हो गई।
रामपुर में किले के खण्डरात, सती तारादेवी का मन्दिर तथा उनका राजमहल अभी तक मौजूद है, जो क्षात्र धर्म का परिचायक व रामपुर में रेहिले क्षत्रियों की कठ-शाखा के शासन काल की याद ताजा करता है जिन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर क्षात्र धर्म की रक्षा की। गुलाम वंश, सल्तनत काल में विधर्मी की पराधीनता कभी स्वीकार नहीं की। अन्तिम सांस तक दिल्ली सल्तनत से युद्ध किया और रोहिलखण्ड को स्वतंत्र राज्य बनाये रखा। निरन्तर संघर्ष करते रहे राजा रणवीर सिंह का बलिदान व्यर्थ नहीं , सदैव तुगलक, मंगोल , मुगलों आदि से विद्रोह किया और स्वतंत्र रहने की भावना को सजीव रखा। राणा रणवीर सिंह के वंशधर आज भी रोहिला-ंक्षत्रियों में पाए जाते है।
Monday, February 5, 2018
काठेर रोहिल्लख़ंड राजपूत!
ये कतेहरिया काठी निकुम्भ वन्स के रोहिलखण्ड के राजा थे 1253 में इनके शासन काल मे दिल्ली सल्तनत के इल्तुतमिश के पुत्र एवम सेनापति नासिरुद्दीन महमूद उर्फ चंगेज जो बहाराम वन्स का मुसलमान आक्रांता था दिल्ली दरबार मे कसम लेकर आया कि रोहिलखण्ड पर विजय पाकर ही लौटेगा 30000 की विशाल सेना लेकर उसने रोहिलखण्ड पर हमला किया पीलीभीत ओर रामपुर के बीच मे किसी स्थान पर मुसलमानों को 6000 रोहिले राजपूतो ने घेर लिया तथा भयंकर युद्ध हुआ रोहिले बहादुर थे लोहे के कवचधारी थे नासिरुद्दीन चंगेज की सेना को काट डाला गया बचे हुए मुसलमान भाग खड़े हुए
नासिरुद्दीन ने प्राणदान मांगे
सभी धन दौलत रणवीर सिंह के चरणों मे रख गिड़गिड़ाया
राजा रणवीर सिंह कठोडा ने क्षात्र धर्म रक्षार्थ शरणागत को क्षमा दान दे दिया
परन्तु वह दिल्ली दरबार से कसम लेकर आया था क्या मुह दिखाए यह सोच कर रामपुर के जंगलों में छिप गया और रास्ते खोजने में लगा कि राजा को कैसे पराजित किया जाए
क्योकि कितनी भी मुसलमान सेना दिल्ली से मंगवाता रोहला राजपूत इतने बहादुर थे कि उनके सामने नही टिक पाती उसने छल प्रपंच धोखा करने की सोची
रामपुर के किले के एक दरबारी हरिद्वार निवासी पण्डे गोकुल राम उर्फ गोकुल चंद को लालच दिया और रक्षा बंधन के दिन शस्त्र पूजन के समय निश्शस्त्र रोहिले राजपूतो पर हमला करने का परामर्श दे दिया
चंगेज ने दिल्ली से कुमुद ओर सेना मंगवाई ओर जंगलो में छिपा दी पण्डे ने सफेद ध्वज के साथ चंगेज को राजा से किले का द्वार खोल मिलवाया जबकि राजपूत पण्डे का इंतजार कर रहे थे कि कब आये और पूजा शुरू हो
पण्डे ने तो धोखा कर दिया था राजा ने सफेद ध्वज देख सन्धि प्रस्ताब समझ समर्पण समझ आने का संकेत दिया
मालूम हुआ कि पंडा किले के चारो द्वार खोल कर आया था
निहत्थे राजपूतो पर तीब्रता से मुसलमान सेना चारो तरफ से टूट पड़ी
राजपूतो को शाका कर मरमिटने का आदेश रणवीर सिंह ने दे दिया और मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए भिड़गये
थे निहत्थे लड़े बहुत पंरन्तु मारे गए
राजा रणवीर सिंह का बलिदान हुआ
रानी तारावती सभी क्षत्राणियो के साथ ज्वाला पान कर जौहर कर गयी
किले को मुसलमान घेर चुके थे
रणवीर सिंह का भाई सूरत सिंह अपने 338 साथियों के साथ निकल गया और हरियाणा में 1254 में चरखी दादरी आकर प्रवासित हुआ
हरिद्वार पंडो ने रणवीर सिंह की वंशावलि में झूठ लिखा कि उसकी ओलाद बंजारा हो गयी
कितना तुष्टिकरण होता था तब भी इतिहास लेखन में
जबकि रोहिले राजपूतो के राज भाट रायय भीम राज निवासी बड़वा जी का बड़ा तुंगा जिला जयपुर की पोथी में मिला कि सूरत सिंह चरखी दादरी आ बसा था
राजा रणवीर सिंह का यह बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान
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